Thursday, September 24, 2020

हाँ मैं वही लड़का हूँ


वो जो रसोई से तिल के लड्डू चुराया करता था
घर में अकेले होने पे खुले में नहाया करता था
कभी पापा की जेब से सुपारियाँ चुराया करता था
हाँ मै वही लड़का हूँ जो पढ़ाई में भी अव्वल आया करता था।

कभी सपनो में जहाज चलाया करता था तो कभी खुद के महल बनाया करता था
ख्वाबो में उसे अपना बनाता था और उसकी एक मुस्कान पे मिट जाया करता था
हाँ में वही लड़का हूँ जो उसकी एक झलक पाने को गांव घूम आया करता था।

आज भी कुछ नही बदला है बस हालात बदल गए है
बस कुछ बाल पक गए है, जरा गाल लटक गए है
जिंदादिली को जिम्मेदारियां नोच चुकी ओर गिरते आंसू भी आंखों में अटक गए है
मगर यकीन रख मैं वही लड़का हूँ जिसके कदम मंजिल की तलाश में भटक गए है।

भाड़ में जाओ कह कर जो भूला देता था सारा गुस्सा
जिसके लिए हर बात थी एक किस्सा,
नही मिली मोहब्बत तो खरीद लेने में यकीन रखता था
आज कीमत चुकाने के काबिल हो गया है
हां मैं वही लड़का हूँ जिसका दिल था समंदर अब साहिल हो गया है।

तू जो साथ होती मेरे तो शायद मैं ऐसा नही होता
शायद तुझसे इतना झगड़ा नही होता तेरी तो हर बात मुझे प्यारी लगती है
या शायद अच्छा है की तू नही है
वरना ये भरम भी टूट जाता तो इस हाल में किसकी याद दिल में लाता



वो तेरा फिर से मिलना

आज पता चला की तुम आ रही हो।
9 सालो पहले अचानक से मिलना और फिर हमेशा के लिए विदा कहे बिना तुम गायब हो गयी।
फिर पता चला की तुम अब किसी और की होने जा रही हो । सच में इतना रोया था उस रात । किसी भी चमत्कार की उम्मीद में हर उस मंदिर में जाकर प्रशाद बोले थे जहा से तुम्हे पा लेने की उम्मीद जागती थी।
मगर तुम्हारे प्यार में भूल गया था की भगवान् भी फिल्मो में ही हीरो की बात सुनता है।
और मैं तो हीरो नहीं था सो वही हुआ जो होता है।
फिर सिर्फ तुम्हारी खबरे आती थी।
उनसे जिनको तुमसे मिलने के लिए बहाने बहनें बना रखा था। अब वो भी गांव के सूरज सांड जितनी इज्जत दिया करती थी।
सब बदलता जा रहा था। मैं भी अब अपनी जिंदगी में बह चुका था और..... 
अचानक आज पता चला की तुम आ रही हो।

पता नहीं नियति को मुझसे मजाक करने की आदत ही है इसीलिए तुम्हे इसी घर में रिश्तेदार बन के आना था।
पागल एक बार प्रपोज़ तो करता तेरी हो जाती!!
कितनी आसानी से कह दिया तुमने तो, मगर ये वो ताना है जो विश्वविजेता को भी आत्मग्लानि से भर दे।
और मैं तो चीज ही क्या हूँ। विजेता के तौर पे बस कुछ तुम्हारी यादें और एक छल्ला ही तो है मेरे पास।
आज फिर से इन्तजार है उस पल का जब मदार गेट का चौक हो मेरी जेब में सिर्फ 65 रुपये हो उसमे से तुम्हे तुम्हारी सहेली के साथ 60 रु. की आइसक्रीम खिलानी हो। और फिर गाँव जाने के लिए 15रु. का जुगाड़ भी करना हो...

Tuesday, September 22, 2020

तू समझती क्यो नही जलधारा

 स्थिर सा गहरा सरोवर,
तू चंचला सी मचलती जलधारा,
मैं जगह ठहरा से रहता
तू दूर देश से बहकर आती जलधारा
तुझे समाने को ही हुआ गहरा सरोवर
अब जो ना उठे उसे लहरे ज्यादा
तो अब क्यूं नाराज जलधारा
अपनी सीमाओ से बंधा हुआ है 
सरोवर के जीवन का हेतु है जलधारा
तू ही सहारा, तू ही किनारा
तूझसे ही शाम, तुझसे ही उजियारा
तू प्रेम ही नही, आदत भी है मेरी
तू समझती क्यूँ नही मेरी जलधारा!!


Thursday, May 21, 2020

मै कौन हूँ

ये कहानी है उस लड़के की जो एक छोटे से गांव से 10वी से आगे की पढ़ाई करने शहर आया था।
वो लड़का जो स्कूल में ताकतवर साथियों से डरा सहमा रहता था, घर में भी उसकी दब्बू पर्सनालिटी की वजह से कोई ज्यादा क़दर नही थी।
हाँ पढ़ाई में जरूर अच्छा था इतना अच्छा की आस पास के गांवो में लोग उसका उदाहरण देते थे।
अब वो लड़का शहर की बड़ी स्कूल में आया जहा उनके खुद के पिता टीचर थे लेकिन उनका भी कोई बड़ा सहयोग नही होता था क्योकि वो इतने आदर्शवादी थे की अपने आप को स्कूल में अपने बेटे से भी सर कहलवाते थे।
खैर सामाजिक प्रतिष्ठा के दबाव के चलते उसे साइंस मेथ्स पढ़ने को कहा गया जो उसे बिल्कुल पसंद नही थी।
लेकिन जमाना क्या कहेगा की जोशी जी का लड़का आर्ट्स लेकर साहित्य पढ़ रहा है!!!

नो, नेवर!!

अब नतीजा ये की वो बंदा जिसकी एक मात्र गौरव पूर्ण पहचान उसकी मार्कशीट होती थी उसमे भी लाल धब्बे लगना शुरू हो गए थे।
नतीजा!!

12वी में फेल, बिल्कुल फेल मतलब 25%
वो जिसके 10वी में 3 विषय में 80% से ज्यादा मार्क्स आये थे अब वो किसि को मुँह दिखाने लायक नही रहा।

अब मिडिलक्लास ओर ऊपर से टीचर का बेटा फेल हो जाता है तो आप जानते ही हो क्या ड्रामा होता है।
घर वालो ने तो उसे नकारा घोषित कर ही दिया।
समाज ने भी उसे आवारा का ठप्पा भी लगा दिया फिरभी जैसे तैसे उसने जीना जारी रखा। इसी बीच प्रॉपर्टी विवाद के चलते उस पर चारित्रिक लांछन भी लगा
मतलब सुसाइड का एक फुल प्लेटफार्म रेडी।
एक दो बार कोशिश भी कि लेकिन पता नही क्या रोक लेता था उसे।
लेकिन इस बीच उसने पहचान लिया था की उसकी इज्जत सिर्फ उसकी पढ़ाई से है अब उसने पहली बार जिद की, कि मुझे मेरी पसंद से विषय चुनने है ओर पढ़ना है ।
खैर अब उसे घर शहर गिनती के वो लोग जिनके पास जाकर थोड़ा बहुत रो लेता था, सब छोड़ने पड़े।
मजे की बात ये की जो एक साल पहले 25% लाया था वही  बंदा इस बार 70% लाता है वो भी हिंदी साहित्य में। 2003 में तब इतने आर्ट्स में इतने नम्बर लाना अपने आप में बात थी.
अब घर वालो के लिए वो आंख का तारा हो गया।
लेकिन उसे याद था की उसकी ईज्जत उसकी सफलता से है। इसलिए उसने वो चुना जो उसे पसंद था। वो नही जो समाज उससे चाहता था।
होटल इंडस्ट्री जिसे समाज हेय रूप में देखता था ओर उपर से ब्राम्हण समाज का बेटा, होटल लाइन में!!!
फिर से घर वालो ने मुँह फेर लिया। उसने जिद की,
घर वालों से पढाई के पैसे भी उधार के रूप में लिए ओर होटल मैनजमेंट का कोर्स किया।
जैसे तैसे नोकरी शुरू हुई, अब उसके जीवन में एक प्रेमिका भी आयी बातें जीवन साथी तक पहुंचने लगी थी। लगा मुसीबते अब उसका पता भूलने लगी है तभी एक बाइक एक्सीडेंट में उसे फेसिअल पाल्सी हो गयी मतलब मुँह का लकवा। डॉक्टर ने भी कह दिया कि कोइ उम्मीद नही की कभी ये ठीक भी हो पाए
अब वो समय था जब इसके कारण उसकी पहली ताकत उसकी नोकरी, खतरे में थी क्योकि अब उस टेढ़े चेहरे के साथ उसे गेस्ट के सामने जाने नही दिया जा सकता।
ओर उसी समय उसकी प्रेमिका जो हर हाल में उसका साथ निभाने की बाते करती थी उसका फ़ोन भी बिजी आने लगा था।
अब वो फिर से अकेला था। लेकिन उसकी हिम्मत ओर जिद उसके साथ थी वो श्रद्धा के साथ देवता की शरण में गया , तो बिजली के झटकों से अपनी सोई मांसपेशियों को जगाने का दर्दनाक जतन भी शुरू किया।
ओर उसने अपने जीवन का एक ही लक्ष्य बना लिया सफलता सफ़लता और हर हाल मे सफलता, इतनी सफलता की उन्हें पछतावा हो जिन्होंने उसे इस दर्द भरे समय में अकेला छोड़ दिया था।
आज वो बन्दा 6 सालों तक सफल जनरल मैनेजर रहा, उसने खुद की होटल कंसल्टेंसी फर्म खोली, जिससे लोग कभी बात करना पसंद नही करते थे अब लोग आने करोड़ो रुपयों के प्रोजेक्ट के फैसले लेने से पहले उससे मिलते है।
वो जो उसकी कोई बात करना पसंद नही करते थे वो अपने बच्चे को लेकर उसके पास आते है की इसका कुछ करवा दो।
इन सबके साथ वो आज वो एक सफल हैप्नोथेरपिस्ट भी है, वो एक NLP प्रैक्टिसनर भी है, रेकी मास्टर भी है,ओर लाइफ कोच भी।
वो अखिलेश जोशी है जिसकी कहानी आप पढ़ेंगे आगे आने वाले ब्लॉग्स में पढ़ेंगे।