वो जो रसोई से तिल के लड्डू चुराया करता था
घर में अकेले होने पे खुले में नहाया करता था
कभी पापा की जेब से सुपारियाँ चुराया करता था
हाँ मै वही लड़का हूँ जो पढ़ाई में भी अव्वल आया करता था।
कभी सपनो में जहाज चलाया करता था तो कभी खुद के महल बनाया करता था
ख्वाबो में उसे अपना बनाता था और उसकी एक मुस्कान पे मिट जाया करता था
हाँ में वही लड़का हूँ जो उसकी एक झलक पाने को गांव घूम आया करता था।
आज भी कुछ नही बदला है बस हालात बदल गए है
बस कुछ बाल पक गए है, जरा गाल लटक गए है
जिंदादिली को जिम्मेदारियां नोच चुकी ओर गिरते आंसू भी आंखों में अटक गए है
मगर यकीन रख मैं वही लड़का हूँ जिसके कदम मंजिल की तलाश में भटक गए है।
भाड़ में जाओ कह कर जो भूला देता था सारा गुस्सा
जिसके लिए हर बात थी एक किस्सा,
नही मिली मोहब्बत तो खरीद लेने में यकीन रखता था
आज कीमत चुकाने के काबिल हो गया है
हां मैं वही लड़का हूँ जिसका दिल था समंदर अब साहिल हो गया है।
तू जो साथ होती मेरे तो शायद मैं ऐसा नही होता
शायद तुझसे इतना झगड़ा नही होता तेरी तो हर बात मुझे प्यारी लगती है
या शायद अच्छा है की तू नही है
वरना ये भरम भी टूट जाता तो इस हाल में किसकी याद दिल में लाता